जय जय नर्मद ईश्वरी मेकल संजाते |
निराजयामि नाशित तापत्रय जाते ||धृ||
वारित संसृति भीते सुरवर मुनि गीते |
सुखदे पावन कीर्ते शंकर तनुजाते ||
देवापगाधि तीर्थे दत्ताग्र्य कुमर्थे |
वाचामगम्य कीर्ते जलमय सन्मुर्ते ||
जय जय नर्मद ईश्वरी मेकल संजाते |
निराजयामि नाशित तापत्रय जाते||१||
नन्दनवन समतीरे स्वादु सुधानीरे |
दर्शित भवपर तीरे दमितान्तकसारे ||
सकलक्षेमाधारे,वृत्तपारावारे |
रक्षास्मान् तिघोरे मग्नान् संसारे ||
जय जय नर्मद ईश्वरी मेकल संजाते |
निराजयामि नाशित तापत्रय जाते||२||
स्वयशः पावित जीवे , मामुध्दर रेवे |
तीरन्ते खलु सेवे त्वयि निश्चितभावे ||
कृतदुष्कृत दवदावे , त्वतपदराजीवे |
तारक ईहमे तीजवे , भक्त्या ते सेवे||
जय जय नर्मद ईश्वरी मेकल संजाते |
निराजयामि नाशित तापत्रय जाते||३
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